शाही लवाजमें के साथ निकली हरी गणगौर की सवारी

राजसमंद @RajsamandTimes। नगर परिषद की ओर से आयोजित गणगौर महोत्सव के तहत शुक्रवार को दूसरे दिन शहर में हरी गणगौर की परंपरागत सवारी निकली । जहां -जहां से भी सवारी गुजरी वहां सावन सी हरियाली का नजारा दिखाई पड़ रहा था। सवारी में शामिल श्रद्धालुओं हरे रंग पहनावे के साथ ही सवारी का नजारा लेने के लिए पहुंचे लोगों में शामिल ज्यादातर श्रद्धालु भी हरी पोशाक, हरी इकलाई एवं साफे आदि में ही थे।
गणगौर महोत्सव में परंपरागत रूप से दूसरे दिन की सवारी देखने के लिए लोगों की संख्या पहले दिन की अपेक्षा काफी बढ़ जाती है। ऐेसे में सवारी को देखने को आतुर शहरवासी और आसपास के गांवों के श्रद्धालु अपरान्ह चार बजे के पहले ही पहुंचकर अपने स्थानों पर जम गए ताकि आराम से सवारी का नजारा ले सकें। शाम को जब सवारी शहर के परंपरागत मार्ग पर निकली तो प्रभु श्री द्वारकाधीश के मंदिर से लेकर पूरे सवारी मार्ग में बालकृष्ण स्टेडियम तक सडक़ों पर सिर्फ महिला-पुरुष श्रद्धालु ही दिखाई दे रहे थे। पूरे मार्ग में प्रत्येक मकान की छत पर जिसे जहां जगह मिली वो वहीं से एक से दो घण्टे तक जमकर सवारी देखने में मस्त हो गया। ऐसे में पूरे मार्ग के भवनों की छतों, गोखड़ों, बालकनी आदि पर सिर्फ महिला-पुरुष श्रद्धालु ही दिखाई दे रहे थे। इनमें से ज्यादातर लोग हरि गणगौर के चलते हरी वेशभूषा में ही थे। सवारी के पहुंचने पर उसमें शामिल सभी लोगों के भी हरी वेशभूषा में होने से उस दौरान तो एक बार पूरे शहर ने भी खेतों की तरह से ही हरियाली की चादर सी ओढ़ ली थी। हरि गणगौर की सवारी प्रभु श्री द्वारकाधीश मंदिर से रवाना हुई और जैसे-जैसे आगे बढ़ती गई लोग जयकारे लगाते और फूलों की वर्षा से उसका जोरदार स्वागत कर रहे थे।
शाम ढलने के साथ ही हरी गणगौर की सवारी प्रभु श्री द्वारकाधीश मंदिर से रवाना हुई तो हरे रंग की वेशभूषा में शृंगारित गणगौर की प्रतिमाओं और सुखपाल में बिराजित प्रभु श्री द्वारकाधीश की छवि के साथ शाही अंदाज में आगे बढ़ रही थी। इसमें प्रभु की छवि भी हरी घटा में ही सुशोभित की गई थी। इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रभु द्वारकाधीश, चारभुजानाथ के गगनभेदी जयकारे लगाकर समूचे वातारण को भक्तिमय बना दिया। साथ ही वाद्य वादन तुरही, बांकिया व नगाड़े सहित बैंड-बाजों की करीब आधा दर्जन टोलियों के द्वारा लोकगीतों व भक्ति संगीत की मधुर स्वर लहरियों ने वातावरण को पूरी तरह से उत्सवमय बना दिया।
सवारी में सबसे आगे हाथी उसके पीछे नगाड़े का घोड़ा, बैण्ड चल रहे थे। इसके साथ ही ऊंटगाड़ी में आकर्षक झांकियां सजी हुई थी। वहीं, सवारी में दो बैण्ड, मंदिर बैण्ड भक्ति की धुनें बिखरते चल रहे थे। वहीं, गोविंदलाल औदिच्य के निर्देशन में कन्याएं सिर पर कलश धारण किए और गणगौर नृत्य करते हुए चल रही थीं। इसके बाद घोड़े, ऊंट और रथ पर आकर्षक झांकियां शामिल थीं। इसके बाद बैण्ड पार्टी भक्ति गीतों की धुन बिखेरते हुए चल रही थी। हनुमानजी की आकर्षक झांकी के समक्ष लोग श्रद्धा से झुककर प्रणाम कर रहे थे। मंदिर की पलटन के सिपाही अपनी विशेष वेशभूषा के साथ ही सिर पर हरे रंग की पगड़ी धारण किए सधे कदमों से चल रहे थे। वहीं, मारवाड़ी ढोल वादक अपने वादन से श्रद्धालुओं को नाचने पर मजबूर कर रहे थे। कच्छी घोड़ी कलाकार भी ढोल पर नृत्य सहित अपनी कला को प्रदर्शित करते चल रहे थे। सबसे अंत में प्रभु श्री द्वारकाधीश मंदिर का बैण्ड भजनों की मधुर धुनों से वातारण को भक्तिमय बनाते चल रहा था। इसके पीछे मशाल और उसके बाद सुखपाल में बिराजित प्रभु द्वारकाधीश की छवि शामिल थी। छवि पर श्रद्धालुओं ने नतमस्तक होने के साथ ही पूरे मार्ग में पुष्पवर्षा की। सवारी के तय मार्ग से मेला प्रांगण बालकृष्ण स्टेडियम पहुंचने पर श्रद्धालु महिलाओं ने गणगौर को की प्रतिमाओं को वहां विराजित कर उनकी पूजा कर झाले दिए तथा पारंपरिक लोक गीत भंवर म्हाने पूजण दो गणगौर एवं म्हारी घूरम छै नखराली… गीतों पर काफी देर तक करके ईशर व गणगौर को रिझाया।
सवारी का मुख्य आकर्षण दिल्ली की पार्टी की ओर से ही गजानन जी की माता रिद्धि-सिद्धि के साथ विशेष झांकी, बालाजी, वानर सेना, शिव-पार्वती, भगवान विष्णु-लक्ष्मी और राधा-कृष्ण की झांकियां विशेष थी, जबकि विशालकाय नंदी की झांकी हर किसी को आश्चर्यचकीत कर रही थी। सवारी में नगर परिषद सभापति अशोक टांक, उप सभापति चुन्नीलाल पंचोली, पार्षद हेमन्त रजक, हेमन्त गुर्जर, दीपक कुमार जैन, तरूणा कुमावत, राजकुमारी पालीवाल, दीपिका कुमावत, हिमानी नंदवाना, सुमित्रा देवी नंदवाना, पुष्पा पोरवाड़, शालिनी कच्छावा, मोनिका खटीक, अर्जुन मेवाड़ा, भुरालाल कुमावत, दीपक शर्मा, रोहित मीणा, मांगीलाल टांक, प्रमोद रैगर, कमलेश पहाडिय़ा, बंशीलाल कुमावत, नारायण गाडरी, हिम्मत कीर आदि के साथ कई पार्षद एवं बड़ी संख्या में अन्य जनप्रतिनिधि, विभिन्न समाजों के प्रतिनिधि एवं नगरवासी भी साथ चल रहे थे।