लाव-लश्कर के साथ निकली चून्दड़ी गणगौर की सवारी – शोभायात्रा देखने उमड़े क्षेत्रवासी

राजसमन्द@RajsamandTimes। लोक संस्कृति और श्रद्धा के ऐतिहासिक पर्व गणगौर के उपलक्ष्य में नगर परिषद राजसमंद, प्रभु श्री द्वारकाधीश मंदिर एवं पर्यटन विभाग के सान्निध्य में शहर के परंपरागत गणगौर महोत्सव के तहत गुरुवार शाम को चूंदड़ी गणगौर की सवारी पूरे ठाठ-बाट और लाव-लश्कर के साथ निकाली गई। सवारी अपरान्ह बाद प्रभु श्री द्वारकाधीश मंदिर से रवाना हुई, लेकिन सवारी के पूरे मार्ग में अपरान्ह से पूर्व ही लोग आकर सवारी देखने के लिए घरों, दुकानों की छतों और सडक़ के दोनों और जिसे जहां जगह मिली वो वहीं बैठ और खड़ा हो गया। सवारी मंदिर से रवाना होकर जैसे-जैसे आगे बढ़ती गई लोग जयकारे लगाते और फूलों की वर्षा से मां गणगौर और ईशरजी के साथ ही सवारी में शामिल लोगों को स्वागत कर रहे थे।
प्रभु श्री द्वारकाधीश मंदिर से आकर्षक वस्त्राभूषणों से शृंगारित गणगौर की प्रतिमाओं और सुखपाल में बिराजित प्रभु श्री द्वारकाधीश की छवि के साथ पूरे ठाट के साथ सवारी रवाना हुई। इस दौरान वहां मौजूद हजारों श्रद्धालुओं ने प्रभु द्वारकाधीश के  गगनभेदी जयकारे लगाए और महिलाओं ने घूमर भी ली। साथ ही वाद्य वादन तुरही, बांकिया व नगाड़े सहित बैंड-बाजों की पांच टोलियों के द्वारा लोकगीतों व भक्ति संगीत की मधुर स्वर लहरियों ने वातावरण को पूरी तरह से उत्सवमय बना दिया। सवारी के रवाना होकर पूरे मार्ग से होकर मेलास्थल बालकृष्ण स्टेडियम तक पहुंचने के दौरान शहर में चहुंओर चून्दड़ी गणगौर की ही आभा दिखाई दे रही थी। न सिर्फ महिलाएं, बल्कि पुरुष भी चूंदड़ी वेश में और साफा एवं इकलाई भी चूंदड़ी की ही पहने हुए दिखाई दे रहे थे।


सवारी में सबसे आगे ढोल-नंगाड़े, हाथी एवं 40 घोड़े और इसके पीछे ऊंट नगाड़े की गूंज सवारी देखने की प्रतिक्षा में मार्ग में खड़े लोगों को सवारी के जल्द ही पहुंचने की एक तरह से मुनादी कर रहे थे। सवारी में सैकड़ों की संख्या में नन्हीं बालिकाएं लहंगा-चूंदड़ी पहने अपने सिर पर जल कलश लिए आगे की ओर कदम बढ़ा रही थी। वहीं, कई बालिकाएं तो इस दौरान नृत्य करते हुए चल रही थंीं।  सवारी में शिव-पार्वती व राधा कृष्ण सहित विभिन्न देवी-देवताओं की आकर्षक झांकियां लोगों को भक्तिमय वातावरण में डूबो रही थीं। सवारी के बीच बग्घी व रथ पर लकड़ी से बनी चून्दड़ी के आकर्षक परिधानों व आभूषणों से सजी गणगौर प्रतिमाएं कुछ अलग ही छटा बिखेर रही थीं। इसके साथ ही परम्परानुसार सवारी में मंदिर से निशान लिए घुड़सवार, फौज पलटन थी जो रियासत काल की परम्परागत शाही गणगौर की सवारी की यादें ताजा कर रही थीं। आदिवासी भील समाज के लोग भाले जमीन पर पटकते हुए आगे बढ़ रहे थे, जिनकी विशेष आवाज लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही थी। वहीं, कलाकार कच्छी घोड़ी नृत्य पेश करते हुए लोगों को आकर्षित कर रहे थे।
इसके साथ ही सवारी में पहले दिन के आकर्षण के रूप में दिल्ली की मनोज एण्ड रिया पार्टी की ओर से कई आकर्षक झांकियां विशेष रूप से श्रद्धालुओं को अपलक निहारने को मजबूर कर रही थीं। ऐसे में मार्ग में कई युवा तो इस ग्रुप के कलाकारों के साथ विशेष भाव-भंगिमाओं में सेल्फी लेने से का मोह नहीं छोड़ पाए। वहीं, गणेश वंदना गु्रप की ओर से गणेशजी की वंदना के साथ किए जा रहे आकर्षक डांस ने सवारी जहां भी पहुंचती वहां के माहौल को गणेश भक्तिमय बना दिया। सवारी में प्रभु श्री राम दरबार की झांकी ने भी लोगों को भाव-विभोर कर दिया, जिस पर लोगों ने जमकर पुष्प वर्षा करते हुए अपनी श्रद्धा का इजहार भी किया। वहीं, बालाजी डांस और राधा-कृष्ण की प्रस्तुतियां भी देखने लायक रहीं। जबकि, मोर महारास के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से लोगों का भरपूर मनोरंज किया तो सुदामा मिलन की झांकी को देखकर लोग भाव-विभोर हुए बिना नहीं रह पाए।
सवारी में सुखपाल में बिराजित प्रभु द्वारकाधीश की छवि को पूरे सम्मान और श्रद्धा से कंधों पर लेकर चंवर ढुलाते श्रद्धालु साथ चल रहे थे। वहीं, शहर के एवं आसपास के क्षेत्रों के  युवा श्रद्धालु व हर आयु वर्ग के लोग आज चून्दड़ की मेवाड़ी पाग व अंगरखी पहने गले में चूंदड़ की ही इकलाई डाले हुए गिरिराज धरण की जय, जय बोल श्री राधे…, पूंछड़ी के लौटा की हूक बोल मेरे प्यारे…सहित कई जयघोष से वातावरण को धर्ममय बनाते हुए चल रहे थे। वहीं, मारवाड़ के प्रसिद्ध ढोल का वादन हर किसी को मोहित कर रहा था। वहीं, जोकर डांस करते हुए और लोगों को गुदगुदाते हुए चल रहे थे। सवारी में शामिल शिव बारात में भूत-प्रेत, पिशाच, गण आदि अपनी अलग ही छाप छोड़ रहे थे। वहीं, सहरिया कलाकारों का लोकनृत्य भी सभी को आकर्षित कर रहा था। इसमें मुख्य रूप से इन कलाकारों की भाव-भंगिमाएं देख लोग इनके कायल हो रहे थे।
सवारी प्रभु श्री द्वारकाधीश मंदिर से रवाना होकर तय मार्ग रेती मोहल्ला, बड़ा दरवाजा, सुखपाल छतरी, नया बाजार, पुराना बस स्टैण्ड, चौपाटी एवं जेके मोड़ से होते हुए रंग.बिरंगी आकर्षक रोशनी से लकदक मेला प्रांगण बालकृष्ण स्टेडियम पहुंची। स्टेडियम में पहुंचने के बाद श्रद्धालु महिलाओं ने गणगौर को की प्रतिमाओं को वहां विराजित कर उनकी पूजा कर झाले दिए तथा पारंपरिक लोक गीत भंवर म्हाने पूजण दो गणगौर एवं म्हारी घूरम छै नखराली… गीतों पर काफी देर तक खूब झूम-झूमकर घूमर नृत्य का आनंद लिया। मंच पर बिराजित प्रभु द्वारकाधीश की पूजा अर्चना की गई। सवारी में पारंपरिक वेशभूषा और चूदड़ी की इकलाई और साफे में नगर परिषद सभापति अशोक टांक, उप सभापति चुन्नीलाल पंचोली, आयुक्त बृजेश रॉय, नेता प्रतिपक्ष हिम्मत कुमावत, पार्षद हेमन्त रजक, हेमन्त गुर्जर, दीपक जैन, तरूणा कुमावत, राजकुमारी पालीवाल  दीपिका कुमावत, हिमानी नंदवाना, सुमित्रा देवी नंदवाना, पुष्पा पोरवाड़, शालिनी कच्छावा, मोनिका खटीक, अर्जुन मेवाड़ा, भुरालाल कुमावत, दीपक शर्मा, रोहित मीणा, मांगीलाल टांक, प्रमोद रैगर, कमलेश पहाडिय़ा, बंशीलाल कुमावत, नारायण गाडरी, हिम्मत कीर, एवं नरेन्द्र पालीवाल आदि के साथ कई पार्षद एवं बड़ी संख्या में अन्य जनप्रतिनिधि, विभिन्न समाजों के प्रतिनिधि एवं नगरवासी भी  साथ चल रहे थे।
मेले में उमड़ी भीड़
चूंदड़ी गणगौर की पहली सवारी के दिन से ही मेला ग्राउण्ड में मेलार्थियों की खासी भीड़ उमड़ी। मेलार्थियों ने यहां मनोरंजन के साधनों डोलर, चकरी, झूल में झुलने का तो भरपूर आनंद लिया, वहीं यहां लगी चाट-पकौड़ी की स्टॉल, कुल्फी आइसक्रीम आदि का भी स्वाद लिया। इसके साथ ही महिलाओं ने शृंगार और मनिहारी सामग्री की दुकानों की रौनक बढ़ाई। इसी तरह खिलौना, प्लास्टिक की सामग्री और बर्तन आदि की दुकानों पर भी भीड़ बनी रही। मेले में करीब मध्यरात तक लोगों की आवाजाही बनी रही।