प्रदेश के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा का विजन है कि अंतिम छोर तक बैठे व्यक्ति के पास स्वच्छता पहुंचनी चाहिए – केके गुप्ता , डूंगरपुर नगर की तर्ज पर प्रत्येक गांव को भी स्वच्छ और जल युक्त बनाएंगे

स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण प्रदेश समन्वयक गुप्ता ने राजसमंद में जिला स्तरीय स्वच्छता कार्यशाला की बैठक ली
राजसमंद। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण राजस्थान सरकार द्वारा नियुक्त प्रदेश समन्वयक और पूर्व सभापति नगर परिषद डूंगरपुर केके गुप्ता द्वारा गुरुवार को राजसमंद में जिला स्तरीय स्वच्छता कार्यशाला की बैठक ली गई। बैठक में राजसमंद जिला कलेक्टर डॉ भंवर लाल और राजसमंद जिला परिषद मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी उपस्थित रहे।
गुप्ता ने कहा कि,  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा एवं मंत्री मदन दिलावर का स्वच्छ भारत मिशन के प्रति एक विजन है और इसको साकार करना समस्त अधिकारियों और कर्मचारियों का दायित्व है। दोनों ही सरकार इस विषय पर बहुत गंभीरता के साथ कार्य कर रही हैं जिसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही और कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के कार्यों की देश की स्थिति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा द्वारा स्वयं सघन निगरानी की जा रही है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता का विषय प्रत्येक जनमानस के साथ जुड़ा हुआ है और हमारे प्रदेश का प्रत्येक गांव स्वच्छ और सुंदर रहेगा तो वहां निवास करने वाले लोग भी स्वस्थ रहेंगे इसके साथ ही एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण के साथ हमारे ग्रामीण अंचल भी सुदृढ़ होंगे जिससे वहां की आर्थिक व्यवस्था भी मजबूत बनेगी और हमारे गांव क्षेत्र भी विकसित श्रेणी में आ सकेंगे। स्वच्छता पर्यावरण के साथ भी जुड़ी हुई है इसलिए स्वच्छता अभियान में पर्यावरण और वातावरण का भी विशेष ध्यान रखते हुए बड़े स्तर पर वृक्षारोपण किया जाना चाहिए।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए गुप्ता ने यह भी कहा कि ग्राम पंचायतो का विकास डूंगरपुर की तर्ज पर किया जाएगा। डूंगरपुर स्वच्छता में विगत 8 वर्षों से प्रथम स्थान पर बना हुआ है। डूंगरपुर में पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण और संवद्र्धन में कार्य किए गए उसी के तर्ज पर यहां भी कार्य किए जाएंगे। पिछले महिने मौसम विभाग द्वारा जारी आंकडो के अनुसार पूरे राज्य में वायु प्रदूषण बहुत अधिक रहा जो कि पश्चिमी विक्षोभ के निकल जाने के बाद मापा गया था। विभाग के अनुसार प्रदेश के पूर्ववर्ती प्रशासनिक संरचना 33 जिलों में से 16 जिलों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 से भी अधिक रिकार्ड किया गया। हनुमानगढ़ जिले में यह सूचकांक दिल्ली क्षेत्र से भी आगे बढक़र 387 तक पहुंच गया और 13 जिलों में सूचकांक 100 अंक से भी अधिक कर रहा है। लेकिन, पूरे प्रदेश में डूंगरपुर ही एकमात्र ऐसा जिला रहा है जहां पर वायु गुणवत्ता सूचकांक 109 अंक रिकॉर्ड किया गया। यहां सांस लेने के लिए प्राणवायु ऑक्सीजन की मात्रा बहुत अच्छी रही और वातावरण को दूषित करने वाली अन्य हानिकारक गैस से बहुत कम उत्पन्न हुई है। डूंगरपुर में ऐसी सुखद स्थिति होने का सर्वप्रथम कारण यह है कि यहां पर पेड़ बहुत अधिक मात्रा में है और यहां ऐसे पेड़ लगाए गए हैं जो हानिकारक विषैली गैसों को अपने अंदर प्राप्त करके शुद्ध ऑक्सीजन गैस उत्सर्जित करते हैं।
कार्यशाला के दौरान गुप्ता ने प्लास्टिक उपयोग रोकथाम पर जोर देते हुए कहा कि गांव क्षेत्रो में प्लास्टिक और विशेष करके पुन: उपयोग में नहीं लिए जा सकने वाले प्लास्टिक का उपयोग और खपत बहुत हो रही है, जिसे रोकना आवश्यक है। लोगों को प्लास्टिक की कैरी बैग में समान नहीं लेने के लिए जागरूक किया जाए। इसके साथ ही व्यापारी वर्ग या लारी ठेले वाले विक्रेता जो प्लास्टिक कैरी बेग में समान देते हैं, इस पर भी पूर्ण प्रतिबंध सहित जुर्माना लगाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। प्लास्टिक हमारे पर्यावरण के लिए बहुत अधिक हानिकारक है। यदि कोई खाद्य वस्तु प्लास्टिक बैग के अंदर पैक है तो उसे वहां विचरण करने वाले मवेशी खाने के प्रयास में प्लास्टिक की थैली पूरी खा जाते हैं जिससे यह उनकी मौत का कारण तो बनता ही है, इसके साथ ही वैज्ञानिकों द्वारा भी यह सिद्ध किया गया है कि यदि गौ माता द्वारा प्लास्टिक का सेवन किया जाता है तो उससे प्राप्त होने वाले दूध से भी लोगों को कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी होने का खतरा उत्पन्न हो सकता है। प्लास्टिक उन्मूलन के लिए आम जनता की जागरूकता और सहभागिता के प्रयास होने चाहिए। प्रत्येक घर में कपड़े से बने हुए कैरी बैग होने चाहिए और लोग यदि बाजार जाते हैं तो उसे अपने साथ लेकर जाएं। कपड़े के बैग बनाने के लिए गांव में संचालित स्वयं सहायता समूह अथवा महिला सरोजगार और सशक्तिकरण की दिशा में सिलाई सेंटर चलने वाली महिलाओं को भी महत्ती भूमिका निभानी चाहिए।
गुप्ता ने बताया कि चयनित ग्राम पंचायत में 14वें वित्त आयोग, भारत सरकार के तहत प्रति ग्राम पंचायत 20 लाख रुपए से 50 लाख रुपए तक अनुदान, अनुबंधित मद से 30 प्रतिशत धनराशि का उपयोग जल तथा 30 प्रतिशत राशि स्वच्छता पर एवं 40 प्रतिशत धन राशि का व्यय ग्राम सभा के निर्णय अनुसार किया जाएगा। आरआरसी (रिसोर्स रिकवरी सेंटर) प्लांट, गीला और सूखा कचरा नियत समय पर अलग-अलग करके एकत्र करना, कंपोस्ट पीट बनाना, कचरे का सेग्रीगेशन करना, ग्रेव वॉटर ट्रीटमेंट, तालाब के अंदर गंदे पानी के जाने पर रोकथाम, पंचायत में बाग बगीचे और ओपन जिम तथा झूले लगाए जाना, सामुदायिक शौचालय का निर्माण, ब्लैक वाटर का ट्रीटमेंट, प्लास्टिक घर बनाना, बायोगैस प्लांट, सार्वजनिक दीवारों पर पेंटिंग, नारा लेखन आदि करना, पंचायत के प्रवेश पर प्रदेश के मुख्यमंत्री और मंत्री का फोटो सहित होर्डिंग लगाना, कचरा यार्ड की नियमित रूप से सफाई और लिगेसी वेस्ट का निस्तारण करना, पुरानी टूटी हुई सडक़ और नाली की मरम्मत करने सहित गांव में महिला स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक पंचायत में 10 सिलाई मशीन उपलब्ध कराना, पंचायत में पुस्तकालय, आरो मशीन प्लांट, पंचायत में स्थित होटल में साफ सफाई की विशेष निगरानी सहित सौर ऊर्जा प्लांट लगाना और वातावरण में फैले हुए प्रदूषण को नियंत्रित करने सहित आदि घटक पर कार्य किया जाएगा।
जिला परिषद द्वारा जारी सूची अनुसार पंचायत समिति आमेट की ग्राम पंचायत जिलोला के चार गांव, पंचायत समिति भीम की ग्राम पंचायत कालादेह के पांच गांव, पंचायत समिति देलवाडा की ग्राम पंचायत देलवाडा का एक गांव, पंचायत समिति देवगढ़ की ग्राम पंचायत मियाला पंचायत के चार गांव, पंचायत समिति खमनौर की ग्राम पंचायत खमनौर के चार गांव, पंचायत समिति कुंभलगढ़ की ग्राम पंचायत सेवन्त्री के सात गांव, पंचायत समिति रेलमगरा की ग्राम पंचायत कुरज के तीन गांव और पंचायत समिति राजसमंद की ग्राम पंचायत फरारा के चार गांव में आम जनता को कचरा नहीं फैलाने और साफ सफाई रखने की सलाह दी जा रही है। आईईसी गतिविधियों के तहत संदेश भेजना और नारा लेखन तथा स्लोगन आदि सार्वजनिक दीवारों पर लिखे गए हैं। प्रत्येक गांव में प्रत्येक घर और दुकान में जिला और सूखा कचरा अलग-अलग एकत्र करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके साथ ही घर और दुकानों में कचरा पात्र रखने के लिए भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। घर और दुकान से निकलने वाले प्लास्टिक संग्रह के लिए बैग वितरण कार्य भी प्रारंभ हो चुका है। गांव में स्वच्छता को अपनाने और कचरा सडक़ पर नहीं फेंकने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है इसके साथ ही प्लास्टिक को भी बाहर नहीं फेंकने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। ग्राम पंचायत में स्वच्छता जागरूकता रैलियां भी निकाली गई है।