सांसद ने राजसमंद में उच्च न्यायालय की स्थायी पीठ की स्थापना हेतु रखी मांग

सांसद दीयाकुमारी ने संसद में पेश किया व्यक्तिगत विधेयक

राजसमन्द। लोकसभा में बजट सत्र के दौरान व्यक्तिगत विधेयक पेश करते हुए सांसद दियाकुमारी ने राजसमंद में उच्च न्यायालय की एक स्थायी पीठ की स्थापना की मांग रखी।

बिल पेश करते हुए सांसद दीयाकुमारी ने कहा कि राजस्थान सबसे बड़े राज्यों में से एक है। औसतन, राज्य की पच्चीस लाख की आबादी पर केवल एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश है। इसलिए मामलों को प्रभावी ढंग से निपटाने और लंबित मामलों को कम करने के लिए उच्च न्यायालय की एक अतिरिक्त स्थायी पीठ की आवश्यकता उत्पन्न होती है।

सांसद ने कहा कि उच्च न्यायालय में संभाग के लंबित मामलों की संख्या असंख्य है। इसके अलावा, बड़ी संख्या में राजस्थान सरकार, उसके विभिन्न विभाग या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और उसके अधीन स्वायत्त निकाय एक पक्ष होते हैं। भारत का संविधान प्रत्येक नागरिक को न्याय प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है। राजस्थान में आदिवासी आबादी के जिलेवार वितरण से पता चलता है कि उदयपुर संभाग में उनकी सबसे अधिक बहुलता है। जिसमें बांसवाड़ा जिला 72.3%, इसके बाद डूंगरपुर 65.1% और उदयपुर 47.9 % शामिल हैं।

सांसद दीयाकुमारी ने कहा कि वास्तव में इस आदिवासी आबादी का एक बड़ा हिस्सा अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आता है। इस आदिवासी आबादी का अधिकांश हिस्सा आर्थिक रूप से कमजोर है। जो जोधपुर और जयपुर पीठों के बीच लंबी दूरी के कारण न्याय तक पहुंचने में असमर्थ हैं। अत: राजसमंद में स्थायी पीठ की स्थापना से न केवल सरकारी खजाने से अनावश्यक व्यय कम होगा बल्कि राजसमंद, पाली, अजमेर, सिरोही भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, डुंगापुर, बांसवाड़ा और उदयपुर जिलों के लोगों, विशेषकर आदिवासी लोगों को भी लाभ होगा। .