भगवान महावीर ने परम शांति के लिए महलों को छोड़ दिया और इंसान महलों के लिए परम शांति को छोड़ रहा है-मुनि अतुल

नाथद्वारा@RajsamandTimes। भगवान महावीर के 2623वें कल्याणक दिवस पर केसर देवी ट्रस्ट व सकल जैन समाज द्वारा नाथद्वारा में विशेष आयोजन किया गया। आचार्य  महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती शासन श्री मुनि रविंद्र कुमार , मुनि  अतुल कुमार एवं संत चन्द्रानन  (मूर्तिपूजक समाज) व साध्वी वृंद (श्रमण संघ समाज) के सानिध्य एवं सकल जैन समाज के तत्वावधान में भगवान महावीर जन्म कल्याणक दिवस मनाया गया।

इस अवसर पर मुनि अतुल कुमार ने धर्म परिषद को संबोधित करते हुए कहा भगवान महावीर राजघराने से थे। महावीर तीस वर्ष की आयु में शाही ठाठ बाट एवं राजमहलों के सुख को त्याग कर सत्य की खोज के लिए जंगल की ओर निकल पड़े थे। साढ़े बारह वर्षों की कठोर तपस्या से ब्रह्म ज्ञान प्राप्त कर लोक कल्याण के लिए उपदेश दिए। आश्चर्य होता है महावीर ने परम शांति के लिए महलों को छोड़ दिया और इंसान महलों के लिए परम शांति को छोड़ रहा है। जरा ख़्याल करो आपसे पहले अरबों-अरबों लोग इस पृथ्वी पर हो चुके हैं।

आपके जैसे ही सपने देखने वाले लोग। आपके जैसा ही धन इकट्ठा करने वाले लोग। आपके जैसे ही पद-लोलुप, पदाकांक्षी, धन-लोलुप, धनाकांक्षी। वे सब अब कहां हैं ? उनका नाम भी तो पता नहीं। वे कहां खो गए ? हो सकता है, जिस धूल पर आप चल कर आए हो उस धूल में पड़े हों। आप जिस जगह बैठे हो, हो सकता है, वहीं उनकी लाश गड़ी हो, वहीं उनकी हड्डियां गल गई हों। कभी वे भी अकड़ कर चलते थे जैसा अकड़ कर आप चलते हो। कभी किसी का जरा सा धक्का लग गया था तो नाराज़ हो गए थे, तलवारें खिंच गई थी। आज धूल में पड़े हैं और कोई भी उनको पैरों से रौंदे चला जा रहा है। ना नाराज हो सकते हैं, ना तलवारें खींच सकते हैं।

इस संसार का सबसे बड़ा आकर्षण आनंद है। आनंद हर साधक की साधना की चरम उपलब्धि है। आनंद की तलाश में लोग जहां-तहां मारे फिरते और तितली की तरह एक फूल से दूसरे फूल पर बैठते हैं। यह अतृप्तिजन्य अशांति ही मनुष्य के पीछे प्रेत,पिशाच की तरह फिरती रहती है। आनंद भीतर से उमंगता है। आनंद की उपलब्धि केवल एक ही स्थान से होती है, वह है- आत्मभाव। जो हो रहा है उसे स्वीकार करें । मुझे मेरे ही कर्मों का फल मिल रहा है। परिस्थितियां भले आपके पक्ष में हैं या प्रतिकूल पर आप हमेशा कूल रहें।

मुनि रविंद्र कुमार ने मंगल पाठ सुनाया। संत श्री चंद्रानंद एवं साध्वी वृंद ने विचार रखे। सकल जैन समाज अध्यक्ष ईश्वर सामोता ने स्वागत वक्तव्य दिया। मंगलाचरण सकल जैन समाज महिला मंडल द्वारा हुआ। कार्यक्रम का संचालन सकल समाज मंत्री सौरभ लोढ़ा एवं निर्मल छाजेड़ ने किया।