प्रेम करे भगवान से, भाषा रखे स्वयं की – सनाढ्य

मायड़ भाषा आधारित आध्यात्मिक गोष्ठी का आयोजन

राजसमन्द। वैलेंटाइन डे पर व्यक्ति को भगवान की केवल एक कृति से प्रेम करने से पहले उस कृति को बनाने वाले भगवान से प्रेम करना चाहिए । व्यक्ति को अपने भगवान से प्रेम करने के साथ अपनी भाषा से भी प्रेम करना चाहिए ।  श्री हरि साहित्य सेवा संस्थान के द्वारा मायड़ भाषा पर आधारित आध्यात्मिक काव्य गोष्टी रखी गई ।

इस गोष्टी की अध्यक्षता अपना ट्रस्ट के अध्यक्ष दिनेश सनाढ्य व मुख्य अतिथि आशापुरा मानव कल्याण ट्रस्ट के अध्यक्ष नानजी भाई गुर्जर व विशिष्ट अतिथि त्रिलोकी मोहन पुरोहित मदन डिडवानिया थे । अध्यक्ष श्री हरि सेवा संस्थान रविनन्दन चारण ने सभी का स्वागत किया । कार्यक्रम का शुभारंभ राधेश्याम राणा ने सरस्वती वंदना से किया ।
बख्तावर सिंह प्रीतम ने भजन मोहन आवो तो खरी सावरा आवो तो सही माधु रे मंदिर में मीरा एकली खड़ी है , रविनंदन चारण में ने राम नाम रस पी छान छान के कविता पढ़ी , मुकेश शर्मा झा की जय हो नारायण तथा सुषमा राठौड़ भजन प्रस्तुत किया। इसी क्रम में राधेश्याम राणा ने पंछीड़ा रे लाल, चंद्र शेखर शर्मा कुमकुम कन्या और दहेज के ऊपर लघुकथा पढ़ी । राम गोपाल ,मोहन  गुर्जर , ज्योत्स्ना पोखरना, मदन डीडवानिया, लेखराज मीणा , त्रिलोकी मोहन पुरोहित सहित कई साहित्यकारों ने काव्यपाठ किया ।
कार्यक्रम का संचालन पूरन शर्मा ने किया। मुख्य अतिथि नानजीभाई गुर्जर ने पर्यावरण की बात करते हुए प्रकृति से प्रेम करने 4 मार्च से 8 मार्च तक पंच पंच दिवसीय लोकरंग उत्सव महोत्सव हेतु आमंत्रित कर एक पेड़ अपने नाम का कलिंजर में लगाने के लिए आव्हान किया। गोष्ठी का समापन पर दिनेश सनाढ्य ने सभी कवियों का धन्यवाद ज्ञापित किया ।