कोरोना की आपदा में भी गांव – ढाणियों में मुस्तैदी से जुटी है आशा सहयोगिनी

राजसमंद। कोरोना की आपदा में गांव, ढाणियों एवं कस्बो में आशा सहयोगिनियां अपनी पूरी क्षमता के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन कर रही है। चाहे काम घर – घर जाकर कोरोना सर्वे का हो, कोविड पॉजिटिव को दवाईंयो का किट उपलब्ध करवाने का हो या गर्भवती महिलाओं, प्रसुताओं एवं बच्चो तक स्वास्थ्य सेवायें पहुंचाने का काम हो, 1 हजार की आबादी पर कार्यरत ये आशा सहयोगिनी अपना काम मुस्तैदी से कर रही है।

जिले में वर्तमान में 1 हजार 11 आशायें कार्यरत है जो इस कोरोना महामारी में एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रही है। इस दौर में जहां सभी को अपने घरो में रहने की सलाह दी जा रही है, वहीं आशा अपने कर्तव्य पर डटी हुई है।
अपने गांव, ढांणी या मौहल्ले में किसी को भी सर्दी, जुखाम या बुखार के लक्षण होने पर आरटीपीसीआर जांच करवाने की सलाह देने, पॉजीटिव आने पर दवा किट को पहुंचाने, कोविड प्रोटोकॉल के बारे में जानकारी देने, कोविड 19 वैक्सीनेशन के लिये आमजन को प्ररीत करने का कार्य आशा द्वारा किया जा रहा है जो कोरोना जैसे संक्रामक रोग की रोकथाम एवं प्रबंधन में काफी महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।


वही इस कोरोना संकट में आशा द्वारा गांव – ढाणियो में नवविवाहित दंपतियों को परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत नई पहल किट का वितरण किया जा रहा है जिसमें परिवार कल्याण साधनो के साथ ही विवाह पंजीकरण फॉर्म, स्वच्छता सामग्री शामिल है। जिले में वर्तमान में विटामिन ए अभियान का भी संचालन किया जा रहा है, जिसके तहत 9 माह से लेकर 5 वर्ष तक के बच्चों को आशा घर – घर जाकर दवा पिला रही है।
वही इस आपदा के दौरान भी आशा द्वारा गर्भवती महिलाओ का पंजीकरण, प्रसव पूर्व जांच करवाना, प्रसव की दृष्टी से उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं का चिन्हीकरण तथा आवश्यक फॉलोअप, मातृ मृत्यु की सूचना, प्रसव पश्चात घर पर नवजात शिशु एवं प्रसुता की देखभाल, टीकाकरण सहित विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रमों में सफलता पूर्वक क्रियान्वयन में सहयोग दिया जा रहा है।