सरपंच नेतृत्व कार्यशाला में महिला जनप्रतिनिधियों ने साझा किए अपने अनुभव , कड़ी मेहनत से पंचायत की तस्वीर बदल रही ये महिला सरपंच

जयपुर। राजस्थान की महिला सरपंचों द्वारा उनकी पंचायतों में किए जा रहे कार्यों की उपलब्धियों की आज बयार बह निकली है। वे अपने संघर्ष के बलबूते पंचायत स्तर पर आगे आ रही हैं। द हंगर प्रोजेक्ट की ओर से जयपुर में आयोजित हुए 3 दिवसीय सरंपच नेतृत्व कार्यशाला में आईं इन महिला जनप्रतिनिधियों के अनुभव बताते हैं कि पिछले चार साल में किस तरह से इन्हें अपनी पंचायतों की तस्वीर को बदलने में कड़ा संघर्ष करना पड़ा। कैसे लोगों को मूलभूत सुविधाएं दिलवाने के लिए प्रयास किए। महिला जनप्रतिनिधि अपनी पंचायत में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं, विशेषकर महिलाओं से संबंधित योजनाओं के क्रियांवयन में रुचि ले रही है। ये महिला सरपंच गांवों की रूढ़ीवादी परंपराओं व जातिगत भेदभाव के बंधनों को तोड़ रही है। अपने कार्यकाल के बचे हुए अगले एक साल में छाप छोड़ने वाले कार्यों को जीपीडीपी में जोड़ने की योजना बना रही है। इस कार्यशाला में सिरोही जिले के पिंडवाड़ा ब्लॉक, राजसमंद जिले के खमनोर ब्लॉक व भीलवाड़ा जिले के सहाड़ा ब्लॉक की 13 महिला सरपंचों ने भाग लिया।

द हंगर प्रोजेक्ट के राजस्थान प्रभारी विरेंद्र श्रीमाली ने बताया कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य सरपंच महिला जनप्रतिनिधियों का ऊर्जावान व गतिशीलता करना था ताकि वे अपने नेतृत्व से अपने 5वें साल के चुनावी कार्यकाल में कुछ आम-खास विकास करते हुए सफलता से अपने कार्यकाल को पूर्णता प्रदान कर सकें। साथ ही अपनी ग्राम पंचायत के त्रि-स्तरीय से अपने कार्यकाल कसे पूर्णता प्रदान करें।

इन महिला जनप्रतिनिधियों ने पिछले चार सालों में किए गए छाप छोड़ने वाले अपने कामों का प्रस्तुतीकरण करते हुए अपने कार्यों की उपलब्धियों को साझा किया। राजसमंद जिले के खमनोर ब्लॉक की ग्राम पंचायत धायला मोहनी बाई गायरी ने बताया कि उन्होंने अपनी ग्राम पंचायत में पिछले कई वर्षों से सरकारी जमीन पर हो रहे अतिक्रमण को हटाकर नरेगा के तहत समतलीकरण कर चारदीवारी बनवाकर विधायक मद से 15 लाख की स्वीकृति से स्कूली मैदान बनवाया। उन्होंने बताया कि वे स्वयं दिहाड़ी मजदूर के रूप में मजदूरी करती थी। इसलिए मजदूरों की पीड़ा को वे भलीभांति समझती है। नरेगा में मजदूरों के समय पर काम देना और काम का पूरा दाम देना उनकी पहली प्राथमिकता है। सिरोही जिले की पिंडवाड़ा ब्लॉक की भुला ग्राम पंचायत की सरपंच अनिता कुमारी ने बताया कि वह अपनी ग्राम पंचायत में पोषण व स्वास्थ्य जागरूकता को लेकर काम कर रही हैं। उनकी ग्राम पंचायत में गर्भवती एवं किशोरी बालिकाएं कुपोषित की शिकार थीं, उनके लिए पंचायत में कैंप का आयोजन करवाया। उन्होंने अपनी ग्राम पंचायत की स्कूल में पोषण वाटिका लगाई है ताकि स्कूल के बच्चों को पोषाहार में हरी सब्जियां मिल सकें। अनिता ने बताया कि वह भविष्य में भले ही पद पर रहे या नहीं लेकिन अपने गांव में वंचित एवं गरीब परिवारों के लिए हमेशा सहयोग करती रहेगी। पिंडवाड़ा ब्लॉक की तेलपुर ग्राम पंचायत की सरपंच कन्या देवी ने बताया कि वह जब सरपंच बनीं तो शुरुआत में बोलने से घबराती थी। मन में झिझक थी। धीरे-धीरे अपने पंचायतीराज में दिए गए अधिकारों की समझ बनाई। मंच में खड़े होकर बोलना सीखा तो जब डर था वह निकल गया। पिंडवाड़ा ब्लॉक की इसरा ग्राम पंचायत की सरपंच बीमा देवी ने बताया कि वह सब्जी बेचने का काम करती थीं। पंचायतीराज व्यवस्था ने उन्हें सरपंच बनने का मौका दिया। आरक्षित सीट आई तो 7 उम्मीदवारों को हराकर सरपंच बनीं। पिछले चार साल में मैंने अपनी ग्राम पंचायत में गरीब वंचित समुदाय के हित में काम किए। अपनी पंचायत की भील व आदिवासी समुदाय की बालिकाओं को शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक किया। अपनी ग्राम पंचायत की कहीं ड्राप आउट बालिकाओं को पुनः शिक्षा से जोड़ा।

भीलवाड़ा जिले के सहाड़ा ब्लॉक की चवण्डियां ग्राम पंचायत की सरपंच सीमा कुमावत ने बताया कि चारागाह की 20 बीघा जमीन पर पिछले कई सालों से अतिक्रमण था। अब तक किसी भी जनप्रतिनिधि उस अतिक्रमण को हटवा नहीं पाया था। पर मैं जब सरपंच बनीं तो सबसे पहले इस चारागाह की इस जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करवाकर चारों तरफ चारदीवारी करवाई। महिलाओं व बालिकाओं की सुरक्षा के लिए पंचायत में सीसीटीवी कैमरे लगवाएं। अन्य जातियों के द्वारा किए गए विरोध को दरकिनार करते हुए अनुसूचित जाति के लोगों के यहां नल कनेक्शन करवाएं। सहाड़ा ब्लॉक की ठोसर ग्राम पंचायत की सरपंच भगवती देवी ने उन्होंने अपने राजपूत समाज में सामाजिक विरोध के बाद भी मृत्युभोज बंद करवाकर मिसाल कायम की। स्कूल में शिक्षक कक्षा में मोबाइल लेकर जाते, उनका ध्यान बच्चों को पढ़ाई करवाने की बजाय मोबाइल में होता। मैंने कक्षा में मोबाइल ले जाने पर पाबंदी लगवाई। मैं आज अपनी पंचायत में बिना किसी झिझक के बिना घुघंट के कुर्सी पर बैठकर पंचायत की कार्यवाही में हिस्सा लेती हूं। सुशीला देवी नेगडिया खेड़ा सहाड़ा, लीला देवी अजारी, शारदा देवी मांडवा खालसा, सोपा देवी सनवाडा आर, वरजु देवी कोजरा मधु देवी केर एवं मुगली देवी आपरी खेड़ा पंचायत पिंडवाड़ा ने भाग लिया।

इस कार्यशाला की शुरुआत 14 दिसंबर को हुई। कार्यशाला के माध्यम से इन महिला सरपंचों ने अपने पिछले 4 सालों में किए गए विकास संबंधी कार्यों का स्वयं मूल्यांकन किया। साथ ही अपने कार्यकाल के शेष बचे एक साल में किए जाने वाले कार्यों की रणनीति भी बनाई। राजस्थान पंचायतीराज अधिनियम में दिए गए अपने कानूनी अधिकारों की समझ बनाई। साथ ही एक दूसरे को विकास संबंधी कार्य करने का हौसला दिया। तीन दिवसीय इस कार्यकाला में महिला जनप्रतिनिधियों ने वर्ष 2024 की योजना जीपीडीपी में किए जाने वाले कार्य तथा छाप छोड़ने वाले कामों का प्रस्तुतीकरण किया। पंचायत में कार्यों के दौरान आने वाली चुनौतियों के समाधान कर आगे बढ़ने की रणनीति पर विचार विमर्श किया। कार्यशाला में प्रशिक्षक के तौर पर गंगा गुप्ता, विरेंद्र श्रीमाली एवं रेणुका शर्मा ने भागीदारी निभाई।