लोग अच्छे कर्म करने की बजाय पूजा-पाठ को अधिक महत्व क्यों देते हैं-मुनि अतुल

राजसमन्द@RajsamandTimes। आचार्य श्री महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती शासन श्री मुनि रविंद्र कुमार एवं मुनि  अतुल कुमार सोहनलाल कच्छारा के निवास स्थान पर रात्रिकालीन प्रवचन माला में मुनि अतुल कुमार ने कहा कर्म ही पूजा है। यह कहावत हम सभी के लिए सत्य है। इसका अर्थ है कि हमारे अच्छे कर्म ही हमारी असली पूजा है। मंदिर में बैठना और घंटों भगवान से प्रार्थना करना पूजा का वास्तविक रूप नहीं है। अगर दुनिया में ईश्वर है तो वो हमारे कर्मों को देखता है ना कि घंटों-घंटों पूजा-पाठ को।पहली बात पूजा-पाठ करना भी एक कर्म है और एक अच्छा कर्म है। दूसरी बात, समस्या तब शुरू होती है जब लोग कर्मकांड को ही सद्कर्म मान लेते हैं और अन्य बेहतर कर्म की अनदेखी करते हैं। जैसे मंदिरों में सोना चढ़ाते हैं लेकिन मंदिरों के बाहर भूखे गरीब को भोजन नहीं करवाते बल्कि उसे नजरअंदाज करते हैं। पूजा पाठ से ज्यादा श्रद्धा और ईश्वर में आस्था होनी चाहिए। कुछ पाने के लिए भगवान की पूजा करना तो एक सौदा जैसा हो गया। भगवान की भक्ति तो मन से होनी चाहिए, भक्ति भाव से। लोग अच्छे कर्म करने की बजाय पूजा-पाठ को अधिक महत्व क्यों देते हैं? मैंने बहुत लोगों को देखा है जो ऐसे पूजा करते हैं जैसे अभी भगवान को प्रकट होने पर विवश कर देंगे। कुछ लोग बीमार होने के बावजूद व्रत करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि ऐसा न करने से भगवान रुष्ट हो जाएंगे, सत्य में। उनकी सेहत भी ज़रूरी है। उनके बीमार होने से घर के अन्य सदस्य भी परेशान होते हैं। कुछ लोग भक्ति वर्ष में कभी-कभी करते हैं। जैसे कि महाशिवरात्रि, नवरात्रि पर्व, जन्माष्टमी एवं पर्युषण पर्व आदि। परन्तु बाकी दिनों नशा नहीं छोड़ते, छल-कपट नहीं छोड़ते, गंदे विचार करना नहीं छोड़ते। लोग मंदिर में जाते हैं और धक्का मुक्की करते हैं ताकि उन्हें पहले दर्शन हो जाएं , क्या ये भक्ति है ? कुछ लोग भक्ति पूजा पाठ करते हैं लेकिन साथ ही बुरे कर्म करना नहीं छोड़ पाते। लोगों की बुराई करना, मांसाहार करना, गाली गलौज करना। ऐसे में क्या इनकी भक्ति सार्थक है? कुछ लोग ढोंग करते हैं बहुत अधिक पूजा पाठ करके खुद को सज्जन व्यक्ति दिखने के लिए। बेहतर यही है कि पूजा पाठ में घंटों बैठने से अच्छा होगा कि अपने परिवार के साथ संबंध अच्छे बनाएं। माता-पिता एवं परिजनों के साथ अच्छे से पेश आएं। मंदिर जाने से भी अधिक ज़रूरी है सहानुभूति भरा व्यवहार। क्या व्यक्ति पूजा पाठ करके अपने बुरे कर्मों के फल से बच सकता है ? नहीं, कर्म इंसान को भोगकर ही काटने पड़ते हैं। बाकी पूजा पाठ से आपको मन की शांति मिल सकती है और दुख का अनुभव कम करेंगे, ऐसा हो सकता है। मुनि श्री रविंद्र कुमार ने मंगल पाठ सुनाया। प्रवचन में काफी अच्छी संख्या में लोग उपस्थित रहे।