हल्दीघाटी युद्ध की 447वीं युद्धतिथि पर अर्पित की शहीदों को दीपांजलि

खमनोर। हिंदुआ सूरज प्रातः स्मरणीय , वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप द्वारा 18 जून 1576 को मातृभूमि के स्वाभिमान की रक्षार्थ अकबर की मुगल शाही सेना के साथ हल्दीघाटी का भीषण युद्ध लड़ा गया था। इसी ऐतिहासिक हल्दीघाटी जनयुद्ध के कारण विश्व में महाराणा प्रताप का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित होकर नई पीढ़ी को देश प्रेम की प्रेरणा देता है। मुगल आक्रमण के दौरान महाराणा प्रताप को संकट में अकेले संघर्ष करता देख कर भी उस समय में देश के कई राजाओं ने महाराणा प्रताप का साथ निभाने की बजाय अपनी बहन बेटियों के रिश्ते मुगलों के साथ कर अधीनता स्वीकार कर ली थी। ऐसी विकट परिस्थितियों में स्वाभिमानी महाराणा प्रताप का साथ निभाने अनेकों राजा व योद्धाओं ने हल्दीघाटी के युद्ध मे भाग लिया था। ग्वालियर के नरेश रामशाह तंवर व उनके पुत्रों , बड़ी सादड़ी के झाला मन्ना, काबुल का पठान हाकिम खान सहित ज्ञात अज्ञात अनेकों देशभक्त योद्धाओं ने महाराणा प्रताप का साथ निभाते हुए उनके प्राण बचाते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। रविवार शाम को हल्दीघाटी युद्ध मे शामिल देशभक्त शहीदों की स्मृति में युद्ध की 447 वीं युद्धतिथि पर श्रम राज्य मंत्री जगदीश राज श्रीमाली के मुख्य आतिथ्य एवं खमनोर प्रधान भेरूलाल वीरवाल की अध्यक्षता में ग्राम पंचायत खमनोर व हल्दीघाटी पर्यटन समिति द्वारा दीपांजलि अर्पित करते हुए नमन किया गया।


इस अवसर पर राज्यमंत्री जगदीशराज श्रीमाली ने युवा पीढ़ी को महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही एवं स्वरचित काव्यांजलि प्रस्तुत की।
दीपांजलि के अवसर पर हल्दीघाटी पर्यटन समिति संस्थापक कमल मानव,हल्दीघाटी पर्यटन समिति अध्यक्ष राकेश पालीवाल, ब्रह्मशक्ति नवयुवक मंडल अध्यक्ष दीपक पालीवाल, ग्राम विकास अधिकारी सुमित सेन ,हितेश वीरवाल, खेम सिंह सहित अन्य उपस्थित रहे।

युद्धतिथि के अवसर पर प्रातः जय हल्दीघाटी नवयुवक मंडल,जय मेवाड़ नवयुवक मंडल, रणभूमि विकास समिति द्वारा भी पुष्पांजलि व संगोष्ठियों का आयोजन किया गया।