अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस 2022 आज

बढ़ता प्लास्टिक का प्रचलन, प्रकृति एवं पृथ्वी के स्वास्थ्य के लिए खतरा – सामोता

राजसमंद। प्रकृति एवं पृथ्वी के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन चुकी प्लास्टिक के अनियंत्रित प्रयोग व प्रचलन को कम कर, इसके विकल्प के रूप में कपड़े एवं जूट की बनी हुई थैलियों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए, आज “अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस 2022” का आयोजन किया जा रहा है । धरा से प्लास्टिक को मुक्त करने की दिशा में भारत देश ने अनूठी पहल करते हुए इसके उत्पादन, भंडारण, वितरण एवं इस्तेमाल पर 1 जुलाई से प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है । केंद्र सरकार का यह निर्णय प्रकृति हितकारी एवं पृथ्वी के स्वास्थ्य के लिए वरदान साबित होगा । 01 जुलाई 2022 के बाद संपूर्ण देश में सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रचलन निषेध रहेगा, विशेष तौर पर प्लास्टिक निर्मित झंडे, बैनर, गिलास, प्लेट, चम्मच, कैरी बैग, आदि के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाए जाने की घोषणा की गई है । साथ ही जिन फर्मों के पास इन प्लास्टिक निर्मित सामग्रियों के स्टॉक मौजूद है उनको 30 जून तक खत्म करने के सख्त निर्देश जारी करते हुए उन्हें नोटिस भेजे गए हैं ।

प्रकृति एवं प्राकृतिक जल स्रोतों के लिए संघर्षरत पर्यावरणविद शिक्षक कैलाश सामोता रानीपुरा ने बताया कि देशभर में प्लास्टिक पर प्रतिबंध की घोषणा को पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ लागू किया जाना चाहिए ।क्योंकि बेतहाशा व अविवेकपूर्ण तरीके से प्लास्टिक के प्रचलन से न केवल मृदा व वायु प्रदूषित हो रही है, बल्कि इसका प्रतिकूल प्रभाव स्थलीय, समुद्री जलीय, नदी एवं तालाबों के पारिस्थितिक तंत्र पर भी पड़ रहा है । प्लास्टिक प्रदूषण के कारण जलीय स्रोतों में पाई जाने वाली विभिन्न जलीय जीव जातियां लुप्त होती जा रही है । इस प्रकार सिंगल यूज प्लास्टिक के बढ़ते प्रचलन ने पृथ्वी के लिए घोर पर्यावरणीय संकट उत्पन्न कर दिया है । प्लास्टिक कचरा निस्तारण के कुप्रबंधन के कारण, गोवंश इन्हें अपनी भूख मिटाने के लिए खा लेता है और अकाल मौत के ग्रास में चला जाता है । वही प्लास्टिक को जलाने पर उत्पन्न होने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, डाइऑक्साइड जैसी विषैली गैसों द्वारा वायु प्रदूषण और अधिक बढ़ रहा है । प्रकृति के लिए घातक इन घाटको पर पूर्णतया प्रतिबंधित के बावजूद नियम विरुद्ध इन उत्पादों का उत्पादन, संग्रहण एवं इस्तेमाल होना शासन प्रशासन की विफलता है । इसलिए देश में प्रतिबंधित प्लास्टिक जोकि प्रकृति एवं पृथ्वी दोनों के स्वास्थ्य के लिए परेशानी का कारण बन चुकी है, पर केंद्र सरकार द्वारा रोक लगाने का निर्णय एक सराहनीय एवं पर्यावरण हितकारी कदम है !