पं. दीनदयाल उपाध्याय के विचारों पर चलकर भारत फिर से बन सकता है विश्वगुरु- राज्यपाल

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

जयपुर। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के  चिंतन को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में आत्मसात करने की आवश्यकता है ।

राज्यपाल श्री मिश्र रविवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय के 105वें जन्म शताब्दी वर्ष पर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ’राष्ट्रीय चेतना उत्सव’ अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने कहा कि उनके दर्शन में राष्ट्र और उससे जुड़े जीवन मूल्यों पर विस्तार से विचार किया गया है ।  इस पर चलकर ही भारत के फिर से विश्वगुरु होने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।

राज्यपाल ने कहा कि देश में ‘सबका साथ सबका विकास‘ की जो पहल केन्द्र सरकार के स्तर पर हुई है, वह मूलतः पंडित दीनदयाल जी की अंत्योदय की अवधारणा का ही विस्तार है। उन्होंने कहा कि वंचित और गरीब लोगों के कल्याण को सर्वोपरि रखते हुए नीतियां बनाने और आखिरी व्यक्ति तक विकास योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए अंत्योदय का सिद्धांत अत्यंत सार्थक है।

राज्यपाल ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत जीवन मूल्यों के विरल संवाहक थे। उन्होंने ‘एकात्म मानववाद’  के अपने दर्शन से संपूर्ण मानव जाति को लाभान्वित किया। उनका मानना था कि शिक्षा से ही देश का भविष्य है इसलिए देश के हरेक बालक-बालिका को शिक्षा आवश्यक रूप से मिलनी चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा जितनी गुणवत्तापूर्ण और समयानुरूप होगी, उतनी ही वह जीवन के लिए उपयोगी और सार्थक होगी। विश्वविद्यालय शिक्षा में आज पंडित दीनदयाल जी चिंतन पर शोध और अध्ययन-अध्यापन की आवश्यकता है तभी राष्ट्र का सर्वांगीण विकास हो सकेगा।

राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में सदा ही पं. दीनदयाल उपाध्याय ने आदर्श मूल्यों को सर्वोपरि रखा। वे राजनीति, धर्म और शासन तंत्र के नीति नियंत्रित होने के पक्षधर थे। उनका चिंतन तत्कालीन समय से आगे था। वन संरक्षण, जलवायु परिवर्तन, भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों की उनकी सीख आज भी प्रासंगिक हैं। उनके अनुसार भारत की आत्मा को सांस्कृतिक दृष्टिकोण से ही समझ सकते हैं न कि राजनीति अथवा अर्थनीति के चश्मे से। राज्यपाल ने कहा कि किसी भी राष्ट्र के साहित्य, कला, दर्शन एवं सभ्यता के विभिन्न अंगों में संस्कृति ही व्यक्त होती है।

गोरखपुर सांसद श्री रवि किशन शुक्ल ने अपने संबोधन में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चिंतन और सामाजिक, राजनीतिक क्षेत्र में उनके योगदान की चर्चा की।

राज्यपाल श्री मिश्र ने कार्यक्रम के आरम्भ में उपस्थित जनों को संविधान की उद्देशिका और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश सिंह, शिक्षाविद् और गणमान्यजन उपस्थित रहे।